हर साल होने वाले हादसों के हिसाब से श्रेणीकरण किया जाएगा। शून्य हादसे वाले ड्राइवर-कंडक्टरों को अलग से प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसी प्रकार, रोडवेज बसों के लिए इंजन और बैटरी की भी बड़ी चुनौती है। हर फेरे के बाद रोडवेज बस की जांच होती है। फिर वह दोबारा संचालन में आती है। परिवहन निगम प्रबंधन का फोकस इस बात पर है कि बसों का संचालन ऐसे हो, जिससे इंजन सुरक्षित रहें।
इंजन को बचाने के लिए तकनीकी विशेषज्ञ रिपोर्ट देंगे। इसी प्रकार, बैटरी की लाइफ के हिसाब से मूल्यांकन किया जाएगा। हालांकि अभी परिवहन निगम ने ये स्पष्ट नहीं किया कि प्रोत्साहन के रूप में कितनी राशि या क्या पुरस्कार दिया जाएगा।
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