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  • कर्णप्रयाग के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल।

    कर्णप्रयाग के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल।

    कर्णप्रयाग, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण संगम स्थल है। यह अलकनंदा और पिंडर नदियों के पवित्र संगम पर बसा हुआ है और इसका ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व है। कर्णप्रयाग के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल निम्नलिखित हैं:

    अलकनंदा और पिंडर नदियों का संगम: कर्णप्रयाग का सबसे प्रमुख आकर्षण इन दो पवित्र नदियों का संगम है। इस संगम स्थल का धार्मिक महत्व है और यहाँ स्नान करना शुभ माना जाता है। संगम के आसपास का शांत वातावरण आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
    कर्ण मंदिर: संगम के पास ही कर्ण का एक प्राचीन मंदिर स्थित है। माना जाता है कि महाभारत के प्रसिद्ध पात्र कर्ण ने यहीं पर भगवान सूर्य की तपस्या की थी। मंदिर का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है।
    उमा देवी मंदिर: कर्णप्रयाग में उमा देवी का एक सुंदर मंदिर भी स्थित है। यह मंदिर स्थानीय लोगों के बीच गहरी आस्था का केंद्र है और इसकी वास्तुकला आकर्षक है।
    नैनीसैंण हवाई पट्टी: हालांकि यह एक पर्यटन स्थल नहीं है, लेकिन कर्णप्रयाग के पास नैनीसैंण में एक हवाई पट्टी है, जो हवाई मार्ग से पहुँचने वालों के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ से हिमालय के सुंदर दृश्य भी दिखाई देते हैं।
    औली की निकटता: कर्णप्रयाग प्रसिद्ध हिल स्टेशन औली से अपेक्षाकृत करीब है। पर्यटक कर्णप्रयाग की यात्रा के साथ औली के स्कीइंग रिसॉर्ट और बर्फ से ढके पहाड़ों का भी आनंद ले सकते हैं।
    विभिन्न ट्रेकिंग मार्ग: कर्णप्रयाग कई मध्यम और उच्च ऊंचाई वाले ट्रेकिंग मार्गों के लिए एक शुरुआती बिंदु हो सकता है। यहाँ से पिंडर घाटी और अन्य हिमालयी क्षेत्रों में ट्रेकिंग के लिए जाया जा सकता है।
    शांत प्राकृतिक वातावरण: कर्णप्रयाग चारों ओर से हरे-भरे पहाड़ों और घाटियों से घिरा हुआ है। यहाँ का शांत और प्राकृतिक वातावरण पर्यटकों को सुकून प्रदान करता है।
    कर्णप्रयाग एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल होने के साथ-साथ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है। दो पवित्र नदियों का संगम और आसपास के मनोरम दृश्य इसे एक शांत और आध्यात्मिक पर्यटन स्थल बनाते हैं। यह चार धाम यात्रा के मार्ग पर भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।

  • गौचर के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल।

    गौचर के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल।

    गौचर, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक शांत और सुंदर शहर है। यह अलकनंदा नदी के किनारे बसा हुआ है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। गौचर के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल निम्नलिखित हैं:

    गौचर हवाई पट्टी: हालांकि यह एक पर्यटन स्थल नहीं है, लेकिन गौचर में एक महत्वपूर्ण हवाई पट्टी है जो आपातकालीन और चार धाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर सेवाओं के लिए उपयोग की जाती है। हवाई पट्टी के आसपास का क्षेत्र खुला और सुंदर है।
    अलकनंदा नदी: गौचर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। नदी के किनारे टहलना और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेना एक सुखद अनुभव हो सकता है।
    विभिन्न मंदिर: गौचर और इसके आसपास कई छोटे-छोटे स्थानीय मंदिर स्थित हैं जिनका धार्मिक महत्व है।
    शांत प्राकृतिक वातावरण: गौचर अपनी शांत और प्रदूषण मुक्त वातावरण के लिए जाना जाता है। यह भीड़भाड़ से दूर प्रकृति की गोद में आराम करने के लिए एक अच्छी जगह है।
    औली और अन्य पर्यटन स्थलों के लिए प्रवेश द्वार: गौचर औली (स्कीइंग के लिए प्रसिद्ध) और बद्रीनाथ जैसे अन्य महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में कार्य करता है। यहाँ से आगे की यात्रा के लिए सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
    स्थानीय बाजार: गौचर में एक छोटा सा स्थानीय बाजार है जहाँ आप दैनिक आवश्यकता की चीजें और कुछ स्थानीय उत्पाद खरीद सकते हैं।
    ट्रेकिंग के अवसर: गौचर के आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में छोटे-मोटे ट्रेकिंग के अवसर उपलब्ध हैं, जहाँ से आसपास के प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है।
    यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि गौचर मुख्य रूप से एक बड़ा पर्यटन केंद्र नहीं है, लेकिन यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के कारण उन लोगों को आकर्षित करता है जो शांति और सुकून की तलाश में हैं। यह चार धाम यात्रा और औली जैसे लोकप्रिय स्थलों की यात्रा के दौरान एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी है।

  • भवाली के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल।

    भवाली के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल।

    भवाली, उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित एक खूबसूरत पहाड़ी शहर है। यह अपने शांत वातावरण, प्राकृतिक सुंदरता और स्वास्थ्यवर्धक जलवायु के लिए जाना जाता है। भवाली के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल निम्नलिखित हैं:

    टीबी सैनिटोरियम (TB Sanatorium): भवाली कभी टीबी सैनिटोरियम के लिए प्रसिद्ध था, जिसकी स्थापना 1912 में हुई थी। हालांकि अब यह उस रूप में सक्रिय नहीं है, लेकिन इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व है और यहाँ से आसपास के पहाड़ों के सुंदर दृश्य दिखाई देते हैं।
    फल बाजार (Fruit Market): भवाली अपने ताज़े फलों के लिए प्रसिद्ध है, खासकर सेब, आड़ू, खुबानी और प्लम। यहाँ का फल बाजार हमेशा जीवंत रहता है और ताज़े फल खरीदने के लिए एक अच्छी जगह है।
    गोल्ज्यू देवता मंदिर (Golu Devta Temple): भवाली के पास घोड़ाखाल में प्रसिद्ध गोल्ज्यू देवता का मंदिर स्थित है। गोल्ज्यू देवता को न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है और यहाँ दूर-दूर से भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं। मंदिर की घंटियाँ एक विशेष आकर्षण हैं।
    भीमताल झील: भवाली से लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर भीमताल स्थित है, जो अपनी खूबसूरत झील के लिए जाना जाता है। यहाँ बोटिंग और झील के किनारे घूमना एक लोकप्रिय गतिविधि है। झील के बीच में एक छोटा सा द्वीप भी है जिस पर एक रेस्टोरेंट बना हुआ है।
    नैनीताल की निकटता: भवाली नैनीताल से लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पर्यटक भवाली में शांति का आनंद लेने के साथ-साथ नैनीताल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों जैसे नैनी झील, नैना देवी मंदिर, टिफिन टॉप और स्नो व्यू पॉइंट का भी आसानी से दौरा कर सकते हैं।
    सत्तल: भवाली के पास ही सात झीलों का समूह सत्तल स्थित है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। यहाँ बर्ड वाचिंग और बोटिंग का आनंद लिया जा सकता है।
    श्यामखेत: भवाली के पास श्यामखेत एक खूबसूरत स्थान है जो अपने प्राकृतिक दृश्यों और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। यहाँ से हिमालय की चोटियों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है।
    भवाली उन लोगों के लिए एक आदर्श स्थान है जो नैनीताल के आसपास शांतिपूर्ण वातावरण में रहना चाहते हैं और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेना चाहते हैं। यह स्वास्थ्यवर्धक जलवायु और ताज़े फलों के लिए भी जाना जाता है।

  • भीमताल के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल।

    भीमताल के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल।

    भीमताल, उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित एक खूबसूरत झील शहर है। यह अपनी शांत झील, हरे-भरे पहाड़ और सुखद जलवायु के लिए जाना जाता है। भीमताल के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल निम्नलिखित हैं:

    भीमताल झील: भीमताल का मुख्य आकर्षण इसकी खूबसूरत झील है। यह कुमाऊं क्षेत्र की सबसे बड़ी झीलों में से एक है और इसके बीच में एक छोटा सा द्वीप है जिस पर एक रेस्टोरेंट बना हुआ है। झील में बोटिंग करना और इसके शांत किनारों पर घूमना पर्यटकों को बहुत पसंद आता है।
    भीमताल द्वीप: झील के बीच में स्थित यह द्वीप एक लोकप्रिय आकर्षण है। यहाँ बोट के माध्यम से पहुँचा जा सकता है और यहाँ एक रेस्टोरेंट में भोजन का आनंद लिया जा सकता है। द्वीप से झील और आसपास के पहाड़ों का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
    भीमताल मत्स्यालय (Aquarium): झील के किनारे एक मत्स्यालय स्थित है जहाँ विभिन्न प्रकार की मछलियाँ देखी जा सकती हैं। यह बच्चों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक रोचक स्थान है।
    नल दमयंती ताल: भीमताल से कुछ दूरी पर स्थित यह एक छोटी और शांत झील है जिसका पौराणिक महत्व है। माना जाता है कि यह राजा नल और रानी दमयंती से जुड़ी हुई है।
    हाइड्रोपोनिक गार्डन: भीमताल में एक हाइड्रोपोनिक गार्डन है जहाँ बिना मिट्टी के पौधों को उगाया जाता है। यह आधुनिक कृषि तकनीक का एक अच्छा उदाहरण है और देखने लायक है।
    विक्टोरिया बांध: भीमताल झील के एक छोर पर एक सुंदर बांध बना हुआ है, जिसे विक्टोरिया बांध कहते हैं। बांध के ऊपर से झील और आसपास के दृश्यों का मनोरम नज़ारा दिखता है।
    काकड़ीघाट: भीमताल से कुछ किलोमीटर दूर काकड़ीघाट एक शांत और सुंदर स्थान है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है।
    नैनीताल और भवाली की निकटता: भीमताल नैनीताल से लगभग 22 किलोमीटर और भवाली से लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पर्यटक भीमताल में शांति का आनंद लेने के साथ-साथ इन लोकप्रिय हिल स्टेशनों का भी आसानी से दौरा कर सकते हैं।
    भीमताल उन लोगों के लिए एक शानदार पर्यटन स्थल है जो नैनीताल के आसपास भीड़भाड़ से दूर एक शांत और प्राकृतिक वातावरण में समय बिताना चाहते हैं। इसकी खूबसूरत झील और आसपास के हरे-भरे पहाड़ इसे एक आकर्षक गंतव्य बनाते हैं।

  • टनकपुर के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल।

    टनकपुर के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल।

    टनकपुर, उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण सीमावर्ती शहर है। यह शारदा नदी के किनारे बसा हुआ है और नेपाल सीमा के पास स्थित होने के कारण इसका व्यापारिक और रणनीतिक महत्व है। टनकपुर के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल निम्नलिखित हैं:

    पूर्णागिरि मंदिर: टनकपुर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पूर्णागिरि मंदिर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यह मंदिर एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है और यहाँ पहुँचने के लिए ट्रेकिंग करनी पड़ती है। चैत्र नवरात्रि के दौरान यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यहाँ से हिमालय के सुंदर दृश्य भी दिखाई देते हैं।
    बालेश्वर मंदिर: टनकपुर के पास चंपावत में स्थित बालेश्वर मंदिर एक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है। यह मंदिर चंद राजवंश की कला और वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है।
    नंधौर वन्यजीव अभयारण्य: टनकपुर के पास स्थित नंधौर वन्यजीव अभयारण्य विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों और वनस्पतियों का घर है। प्रकृति और वन्यजीव प्रेमियों के लिए यह एक आकर्षक स्थान है। यहाँ बाघ, हाथी, हिरण और विभिन्न प्रकार की पक्षियाँ देखी जा सकती हैं।
    शारदा नदी: टनकपुर शारदा नदी के किनारे बसा हुआ है। नदी का किनारा शांत और सुंदर होता है और यहाँ टहलना एक सुखद अनुभव हो सकता है।
    नेपाल सीमा: टनकपुर नेपाल की सीमा के पास स्थित है। हालाँकि सीमा पार करने के लिए आवश्यक अनुमति की आवश्यकता होती है, लेकिन सीमावर्ती क्षेत्र की संस्कृति और व्यापारिक गतिविधियों को देखना एक अलग अनुभव हो सकता है।
    स्थानीय बाजार: टनकपुर का स्थानीय बाजार पारंपरिक कुमाऊँनी उत्पाद और स्थानीय वस्तुओं के लिए जाना जाता है। यहाँ खरीदारी करना और स्थानीय संस्कृति को जानना एक अच्छा अनुभव है।
    पंचेश्वर बांध (प्रस्तावित): टनकपुर के पास भारत और नेपाल की संयुक्त परियोजना पंचेश्वर बांध प्रस्तावित है। भविष्य में यह क्षेत्र एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है।
    टनकपुर मुख्य रूप से पूर्णागिरि मंदिर के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके आसपास प्राकृतिक सुंदरता और वन्यजीव अभयारण्य भी हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण सीमावर्ती शहर है जिसका अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है।

  • खटीमा के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल।

    खटीमा के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल।

    खटीमा, उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में स्थित एक तेजी से विकसित हो रहा शहर है। यह नेपाल सीमा के पास स्थित है और एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र भी है। खटीमा में और इसके आसपास कुछ दर्शनीय स्थल हैं जो पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं:

    सुरई इकोटूरिज्म जोन (Surai Ecotourism Zone): खटीमा के पास स्थित सुरई वन क्षेत्र एक शांत और सुंदर जगह है। यहाँ विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे और जीव-जंतु पाए जाते हैं। यह प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीव फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए एक अच्छा स्थान है। यहाँ जंगल सफारी का भी आनंद लिया जा सकता है।
    नानक सागर बांध (Nanak Sagar Dam): खटीमा से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर नानक सागर बांध स्थित है। यह एक सुंदर जलाशय है जहाँ बोटिंग और मछली पकड़ने जैसी गतिविधियाँ की जा सकती हैं। बांध के आसपास का शांत वातावरण पिकनिक के लिए भी उपयुक्त है।
    नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा (Nanakmatta Sahib Gurudwara): खटीमा के पास नानकमत्ता में सिखों का एक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। यह गुरुद्वारा सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है और इसकी शांत एवं पवित्र वातावरण श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
    कर्बला: खटीमा में एक कर्बला भी स्थित है, जो मुस्लिम समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
    नेपाल सीमा: खटीमा नेपाल की सीमा के पास स्थित है। सीमावर्ती क्षेत्र की संस्कृति और व्यापारिक गतिविधियों को देखना एक अलग अनुभव हो सकता है, हालांकि सीमा पार करने के लिए आवश्यक अनुमति की आवश्यकता होती है।
    स्थानीय बाजार: खटीमा का स्थानीय बाजार विभिन्न प्रकार के सामानों और स्थानीय उत्पादों के लिए जाना जाता है। यहाँ खरीदारी करना और स्थानीय जीवनशैली को करीब से देखना एक अच्छा अनुभव हो सकता है।
    झीलें और जलाशय: खटीमा के आसपास कुछ छोटी झीलें और जलाशय भी स्थित हैं जो प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करते हैं।
    यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि खटीमा मुख्य रूप से एक औद्योगिक और व्यापारिक शहर के रूप में विकसित हो रहा है, इसलिए यहाँ बहुत अधिक पारंपरिक पर्यटन स्थल नहीं हैं। हालाँकि, आसपास के प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक स्थलों के कारण यह कुछ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकता है, खासकर जो शांत वातावरण और स्थानीय संस्कृति का अनुभव करना चाहते हैं।

  • बरकोट के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल।

    बरकोट के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल।

    बरकोट, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक शांत और सुंदर कस्बा है। यह यमुना नदी के तट पर बसा हुआ है और चार धाम यात्रा के मार्ग पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। बरकोट अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। बरकोट के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल निम्नलिखित हैं:

    यमुनोत्री धाम के लिए प्रवेश द्वार: बरकोट यमुनोत्री धाम की यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। यहाँ से यात्री जानकी चट्टी या फूल चट्टी तक वाहन से जाते हैं, जिसके बाद यमुनोत्री के लिए पैदल यात्रा शुरू होती है। यात्रा के दौरान बरकोट में आवास और अन्य सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
    सूर्य कुंड: बरकोट के पास खरसाली गाँव में सूर्य कुंड स्थित है। यह एक गर्म पानी का कुंड है और यमुनोत्री यात्रा के दौरान यात्री यहाँ स्नान करते हैं।
    खरसाली गाँव: यह बरकोट के पास एक सुंदर गाँव है जो अपने पारंपरिक घरों और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। यहाँ प्राचीन शनिदेव का मंदिर भी स्थित है।
    डोडीताल: बरकोट से कुछ दूरी पर स्थित डोडीताल एक खूबसूरत झील है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जानी जाती है। यहाँ ट्रेकिंग करके पहुँचा जा सकता है और यह प्रकृति प्रेमियों के लिए एक शानदार स्थान है।
    दयारा बुग्याल: बरकोट के पास स्थित दयारा बुग्याल एक विशाल घास का मैदान है जो अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ से हिमालय के शानदार दृश्य दिखाई देते हैं और यह ट्रेकिंग और कैंपिंग के लिए एक लोकप्रिय स्थान है।
    लखमंडल: बरकोट से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर लखमंडल स्थित है, जो अपने प्राचीन शिव मंदिर और पुरातात्विक महत्व के लिए जाना जाता है। यहाँ कई प्राचीन मूर्तियाँ और अवशेष देखे जा सकते हैं।
    शांत प्राकृतिक दृश्य: बरकोट चारों ओर से ऊँचे पहाड़ों और हरी-भरी घाटियों से घिरा हुआ है। यमुना नदी के किनारे टहलना और प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेना एक सुखद अनुभव होता है।
    बरकोट मुख्य रूप से यमुनोत्री धाम की यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, लेकिन इसके आसपास कई प्राकृतिक और धार्मिक स्थल भी हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यह उन लोगों के लिए एक शांत और सुंदर स्थान है जो प्रकृति की गोद में कुछ समय बिताना चाहते हैं।

  • ब्रेकिंग। पांच वाहन सीज किए, 16 के चालान।

    ब्रेकिंग। पांच वाहन सीज किए, 16 के चालान।

    विकासनगर। उप संभागीय परिवहन विभाग की टीम ने हरबर्टपुर-विकासनगर रोड पर वाहन जांच अभियान चलाया। इस दौरान टीम ने यातायात नियमों के उल्लंघन पर 16 वाहनों का चालान कर दिया। जबकि वाहन संबंधी आवश्यक कागजात नहीं पाए जाने पर पांच वाहनों को सीज कर दिया। परिवहन विभाग की टीम ने वाहनों की जांच करते हुए सड़क पर दौड़ रहे व्यायसायिक, ई-रिक्शा, बाइक, स्कूल बस व लोडर वाहनों पर कार्रवाई की। इस दौरान लापरवाही से वाहन चलाने, सीट बेल्ट, हेलमेट आदि यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले 16 वाहनों पर चालान की कार्रवाई की गई। इसके अलावा बीमा, फिटनेस व परमिट आदि नहीं पाए जाने पर पांच वाहनों को सीज कर दिया गया। उप संभागीय परिवहन अधिकारी प्रवर्तन आरएस कटारिया ने बताया कि वाहन जांच का अभियान आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा।

  • ब्रेकिंग। जिला प्रशासन देहरादून की ओर से संवाद का आयोजन।

    ब्रेकिंग। जिला प्रशासन देहरादून की ओर से संवाद का आयोजन।

    जिला प्रशासन देहरादून की ओर से संवाद का आयोजन किया गया, जिसमें जिले के ज्वलंत मुद्दों पर आम जनता की राय ली गई। डीएम सविन बंसल भी संवाद भी मौजूद रहे। संवाद में इसमें शिक्षा, भिक्षावृत्ति, स्वास्थ्य, नगर निगम से जुड़े मुद्दे, पर्यटन, कानून व्यवस्था, रोजगार, जल संरक्षण, बुजुर्गों के संरक्षण पर चर्चा हुई। अलग-अलग सत्र में अलग-अलग विषय रखे गए।

  • ब्रेकिंग। प्रदेश में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल।

    ब्रेकिंग। प्रदेश में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल।

    उत्तराखंड परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक का प्रभार अपर सचिव आनंद श्रीवास्तव से हटाकर अपर सचिव रीना जोशी को दे दिया है।

    केदारनाथ उपचुनाव के बाद संभावित माने जा रहे प्रशासनिक फेरबदल के तहत शासन ने 13 आईएएस, तीन पीसीएस समेत 18 नौकरशाहों के दायित्वों में बदलाव कर दिया है। शुक्रवार की देर शाम कार्मिक एवं सतर्कता विभाग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, उत्तराखंड परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक का प्रभार अपर सचिव आनंद श्रीवास्तव से हटाकर अपर सचिव रीना जोशी को दे दिया है। कुछ नौकरशाहों को हल्का किया गया है तो कुछ के प्रभार बढ़ा दिए गए हैं।