कर्णप्रयाग, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण संगम स्थल है। यह अलकनंदा और पिंडर नदियों के पवित्र संगम पर बसा हुआ है और इसका ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व है। कर्णप्रयाग के मुख्य एवं दर्शनीय पर्यटन स्थल निम्नलिखित हैं:
अलकनंदा और पिंडर नदियों का संगम: कर्णप्रयाग का सबसे प्रमुख आकर्षण इन दो पवित्र नदियों का संगम है। इस संगम स्थल का धार्मिक महत्व है और यहाँ स्नान करना शुभ माना जाता है। संगम के आसपास का शांत वातावरण आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
कर्ण मंदिर: संगम के पास ही कर्ण का एक प्राचीन मंदिर स्थित है। माना जाता है कि महाभारत के प्रसिद्ध पात्र कर्ण ने यहीं पर भगवान सूर्य की तपस्या की थी। मंदिर का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है।
उमा देवी मंदिर: कर्णप्रयाग में उमा देवी का एक सुंदर मंदिर भी स्थित है। यह मंदिर स्थानीय लोगों के बीच गहरी आस्था का केंद्र है और इसकी वास्तुकला आकर्षक है।
नैनीसैंण हवाई पट्टी: हालांकि यह एक पर्यटन स्थल नहीं है, लेकिन कर्णप्रयाग के पास नैनीसैंण में एक हवाई पट्टी है, जो हवाई मार्ग से पहुँचने वालों के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ से हिमालय के सुंदर दृश्य भी दिखाई देते हैं।
औली की निकटता: कर्णप्रयाग प्रसिद्ध हिल स्टेशन औली से अपेक्षाकृत करीब है। पर्यटक कर्णप्रयाग की यात्रा के साथ औली के स्कीइंग रिसॉर्ट और बर्फ से ढके पहाड़ों का भी आनंद ले सकते हैं।
विभिन्न ट्रेकिंग मार्ग: कर्णप्रयाग कई मध्यम और उच्च ऊंचाई वाले ट्रेकिंग मार्गों के लिए एक शुरुआती बिंदु हो सकता है। यहाँ से पिंडर घाटी और अन्य हिमालयी क्षेत्रों में ट्रेकिंग के लिए जाया जा सकता है।
शांत प्राकृतिक वातावरण: कर्णप्रयाग चारों ओर से हरे-भरे पहाड़ों और घाटियों से घिरा हुआ है। यहाँ का शांत और प्राकृतिक वातावरण पर्यटकों को सुकून प्रदान करता है।
कर्णप्रयाग एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल होने के साथ-साथ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है। दो पवित्र नदियों का संगम और आसपास के मनोरम दृश्य इसे एक शांत और आध्यात्मिक पर्यटन स्थल बनाते हैं। यह चार धाम यात्रा के मार्ग पर भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।